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मन का कागज़


 मन के कागज़ पर आज
लिखने थे कुछ सुंदर भाव
करो व्यवहार सदा प्रेम का
कभी काम ना आए ताव।

प्यार करोगे, प्यार पाओगे
खुशियाँ हमें मिले अपार
रहे ईर्ष्या-द्वेष और कलेश
जीवन में करने से तकरार।

 मन के कागज़ पर आज
बनानी है एक ऐसी तस्वीर
सौम्य, शीलता हो जिसमें
देख उसे मन में आये धीर।

 मन का कागज तो होता है
 बिल्कुल कोरा और श्वेत
 उस पर मानव मत फेंको
तृष्णा और घृणा की  रेत।

खत्म नहीं होती है कभी
जीवन में लालच की प्यास
फँस इसमें आजीवन करोगे
मृग मरीचिका की तलाश।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश

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7 Comments

Ravi Goyal

08-Feb-2022 11:53 AM

बहुत सुंदर कविता 👌👌

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Dr. Arpita Agrawal

08-Feb-2022 01:30 PM

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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Pratikhya

07-Feb-2022 03:50 PM

Awesome

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Dr. Arpita Agrawal

08-Feb-2022 01:30 PM

बहुत बहुत शुक्रिया

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Seema Priyadarshini sahay

07-Feb-2022 03:49 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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Dr. Arpita Agrawal

07-Feb-2022 04:35 PM

धन्यवाद सीमा जी

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